Tuesday, May 7, 2019

chamunda vashikaran mantra

chamunda vashikaran mantra
दुर्गा की इन नौ शक्तियों को जागृत करने के लिए दुर्गा के 'नवार्ण मंत्र' का जाप किया जाता है
जबलपुर। दुर्गा दुखों का नाश करने वाली देवी है। इसलिए नवरात्रि में जब उनकी पूजा आस्था, श्रद्धा से की जाती है तो उनकी नवों शक्तियां जागृत होकर नौ ग्रहों को नियंत्रित कर देती हैं। फलस्वरूप प्राणियों का कोई अनिष्ट नहीं हो पाता। दुर्गा की इन नौ शक्तियों को जागृत करने के लिए दुर्गा के 'नवार्ण मंत्र' का जाप किया जाता है। नव का अर्थ नौ तथा अर्ण का अर्थ अक्षर होता है। अतः नवार्ण नौ अक्षरों वाला मंत्र है, नवार्ण मंत्र 'ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडायै विच्चे' है। इसमे ऐं- महासरस्वति का बीज मन्त्र है। ह्रीं- महालक्ष्मी का बीज मन्त्र है। क्लीं-महकाली का बीज मन्त्र है। इससे तीनों देवियों की कृपा मिलती है। नवरात्रि मे इस मन्त्र का यथा शक्ति जप करने से महामाया की कॄपा प्राप्त होती है।

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नौ ग्रहों से संबंध -
नौ अक्षरों वाले इस नवार्ण मंत्र के एक-एक अक्षर का संबंध दुर्गा की एक-एक शक्ति से है और उस एक-एक शक्ति का संबंध एक-एक ग्रह से है।

- नवार्ण मंत्र के नौ अक्षरों में पहला अक्षर ऐं है, जो सूर्य ग्रह को नियंत्रित करता है। ऐं का संबंध दुर्गा की पहली शक्ति शैल पुत्री से है, जिसकी उपासना 'प्रथम नवरात्र' को की जाती है।

- दूसरा अक्षर ह्रीं है, जो चंद्रमा ग्रह को नियंत्रित करता है। इसका संबंध दुर्गा की दूसरी शक्ति ब्रह्मचारिणी से है, जिसकी पूजा दूसरे नवरात्रि को होती है।

- तीसरा अक्षर क्लीं है, चौथा अक्षर चा, पांचवां अक्षर मुं, छठा अक्षर डा, सातवां अक्षर यै, आठवां अक्षर वि तथा नौवा अक्षर चै है। जो क्रमशः मंगल, बुध, बृहस्पति, शुक्र, शनि, राहु तथा केतु ग्रहों को नियंत्रित करता है।
इन अक्षरों से संबंधित दुर्गा की शक्तियां क्रमशः चंद्रघंटा, कुष्माण्डा, स्कंदमाता, कात्यायिनी, कालरात्रि, महागौरी तथा सिद्धिदात्री हैं, जिनकी आराधना क्रमश : तीसरे, चौथे, पांचवें, छठे, सातवें, आठवें तथा नौवें नवरात्रि को की जाती है।

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तीनों देवता भी है समाहित -

इस नवार्ण मंत्र के तीन देवता ब्रह्मा, विष्णु और महेश हैं तथा इसकी तीन देवियां महाकाली, महालक्ष्मी तथा महासरस्वती हैं, दुर्गा की यह नवों शक्तियां धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष इन चार पुरुषार्थों की प्राप्ति में भी सहायक होती हैं।

नवार्ण मंत्र का जाप 108 दाने की माला पर कम से कम तीन बार अवश्य करना चाहिए। यद्यपि नवार्ण मंत्र नौ अक्षरों का ही है, परंतु विजयादशमी की महत्ता को ध्यान में रखते हुए, इस मंत्र के पहले ॐ अक्षर जोड़कर इसे दशाक्षर मंत्र का रूप दुर्गा सप्तशती में दे दिया गया है, लेकिन इस एक अक्षर के जुड़ने से मंत्र के प्रभाव पर कोई असर नहीं पड़ता। वह नवार्ण मंत्र की तरह ही फलदायक होता है। अतः कोई चाहे, तो दशाक्षर मंत्र का जाप भी निष्ठा और श्रद्धा से कर सकता है।
 
यह साधना रात्रि कालीन है स्थान एकांत होना चाहिए ! मंगलबार को यह साधना संपन की जा सकती है ! घर के अतिरिक्त इसे किसी प्राचीन एवं एकांत शिव मंदिर मे या तलब के किनारे निर्जन तट पर की जा सकती है !
पहनने के बस्त्र आसन और सामने विछाने के आसन सभी गहरे काले रंग के होने चाहिए ! साधना के बीच मे उठना माना है !

इसके लिए वीर बेताल यन्त्र और वीर बेताल माला का होना जरूरी है !

यन्त्र को साधक अपने सामने बिछे काले बस्त्र पर किसी ताम्र पात्र मे रख कर स्नान कराये और फिर पोछ कर पुनः उसी पात्र मे स्थापित कर दे !
 
chamunda vashikaran mantra
मंत्र :-
सौह चक्र की बावड़ी डाल मोतियाँ का हार पदम् नियानी निकरी लंका करे निहार लंका सी कोट समुन्द्र सी खाई चले चौकी हनुमंत वीर की दुहाई कौन कौन वीर चले मरदाना वीर चले सवा हाथ जमीं को सोखंत करनाजल का सोखंत करना पय का सोखंत करना पवन का सोखंत करना लाग को सोखंत करना चूड़ी को सोखंत करना पलना को भुत को पलट को अपने बैरी को सोखंत करना मेवात उपट बहकी चन्द्र कले नहीं चलती पवन मदन सुतल करे माता का दूध हरम करे शब्द सांचा फुरे मंत्र इश्वरो वाचा
इस मंत्र को गुरुवार से शुरू करे ४४ दिन तक १००८ जाप करे , ४० वे दिन वीर दर्शन दे सकता है और आप बिना किसी डर के उस से जो मांगना है मांग ले याद रहे की किसी का भी बुरा नहीं मांगना है सुदध घी का दीपक जलाना है और लोबान की धुनी लगातार देनी है

चमेली के पुष्प और कुछ फल इनको अपिँत करे तो प्रसन्न होकर वर देते है

फकीरों की सेवा करे और उनको सौहा वीर के नाम से भोजन और एक मीठा जरुर दे तो शीघ्र प्रसन्न हो जाते है साधक इस साधन मई मॉस और मदिरा से दूर रहे और इस मंत्र को करने से पहले अपने चारो तरफ रक्षा रेखा खींच ले गोलाकार जब तक १००८ जाप पूरा नहीं हो तब तक इस गोले सबहिर नै निकलना है और डेली पुष्प के सुगन्धित पानी से सस्नान करना है झूठ नहीं बोलना है . . .

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