Wednesday, May 1, 2019

mohini vashikaran yantra

मोहिनी वशीकरण मंत्र

पौराणिक ग्रंथों के अनुसार मोहनी महाशक्ति योगमाया से प्रकट हुई एक अप्रतिम सुंदरता लिए अद्भुत शक्ति की देवी है। इनके प्रकट होने के पीछे की एक कथा भगवन विष्णु और समुद्र के मंथन की घटना से संबंधित है। एक बार जब समुद्र मंथन का कार्य काफी तीब्रता से चल रहा था तब भगवान विष्णु इस बात को लेकर काफी चिंतातुर थे कि देवों के प्रयास को दानवों ने कमजोर कर दिया था। उसी समय महाशक्ति योगमाया प्रकट हुई और उनसे चिंता का कारण जानना चाहा। भगवान विष्णु ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा, ‘‘देवी समुद्र मंथन में देवों पर दानव भारी पड़ रहे हैं। मायावी दानव माया और छल-बल का प्रयोग कर देवों को पराजित कर दे रहे हैं। देवी, मुझे आशंका है कि दानव यहां से निकलने वाले अमृत पर अपना अधिकार न जमा लें या देवों से झपट न लें।’’
महामाया ने कहा, ‘‘भगवन्! आपको तनिक भी चिंता की आवश्यकता नहीं है। इसका उपाय मेरे पास है। मैं आपके शरीर में अति सूक्ष्म रूप में प्रवेश कर जाऊंगी, जिससे आपकी सारी चिंता दूर हो जाएगी।’’ उसके बाद महामाया एक अतिसुंदर रूप धारण कर भगवान विष्णु मे प्रवेश कर गई। उसके परिणाम स्वरूप उनका स्त्री-रूप असाधरण सौंदर्य बिखेरने वाल बन गया। उनके रूप-सौंदर्य को देखकर सारा ब्रह्मांड स्तब्ध रह गया।
विष्णु के नारी रूप में जो सौंदर्य और आकर्षण था वह अद्भुत था। कहते हैं कि भागवान शिव भी इस रूप को देखकर अचंभित हो गए थे। उसी रूपवती ने अपने सौंदर्य, विवेक और बौद्धिकता से दानवों द्वारा छिन लिए गए अमृत कलश को हासिल कर लिया और उससे सभी देवों को अमृत पान करवाया। भगवान विष्णु का वही सुंदर स्त्री-रूप विश्व मोहिनी कहलाई। एसी मान्यता है कि वह समस्त प्राणियों में आकर्षण की क्षमता जगृत करती है।

एकादशी के दिन से शुरू किए जाने वाले इस पूजन के लिए विधिनुसार लाल रंग के परिधान में पूरब दिशा की ओर मुख किया जाता है। सामने एक छोटी से चैकी पर लाल कपड़े के ऊपर देवी मोहिनी की मूर्ति या फिर उनके स्थान पर मां दुर्गा की मूर्ति स्थापित की जाती है। देवी को श्रृंगार सामग्री के साथ सात किस्म की मिठाई का भोग लगाया जाता है। मूर्ति के ठीक सामने तिल के तेल का दीपक जलाया जाता है ओर फिर देवी की फल, फूल, दीप, धूप, नैवेद्य, अक्षत से पूजा की जाती है। उसके बाद स्फटिक या मोती की माला से देवी के मंत्र का जाप किया जाता है। इस तरह से सात दिनों तक पूजन के दौरान नौ हजार बार मंत्र का जाप किया जाता है।
मोहिनी वशीकरण सिद्धि मंत्र के जाप के दौरान पे्रमी युगल को कुछ सतर्कता भी बरतने और दूसरे साधारण उपाय करने की भी जरूरत है। वे उपाय हैंः-
प्रेमियों को चाहिए कि वे कभी भी शनिवार और अमावस्या के दिन एक-दूसरे के आमने-सामने नहीं हों। ऐसा कर प्रेमी-युगल आपसी बाद-विवाद या बुरे प्रभाव से अपने प्रेम को बचा लेंगे। कारण इन दिनों में मिलने वे बेवजह का विवाद उत्पन्न हो सकता है।
इसी तरह से प्रेमियों को यह कोशिश करनी चाहिए कि उनकी मुलकात शुक्रवार और पूर्णिमा के दिन अवश्य हो। यदि पूर्णिमा को शुक्रवार हो तो यह दिन प्रेमियों के मिलन के लिए अत्यंत ही शुभ होता है। इस दिन उनके मिलने से परस्पर आकर्षण बढ़ूता है और प्रेम की मधुरता प्रगाढ़ होती है।
प्रेमी द्वारा एमरल्ड यानि पन्ना की अंगूठी धारण करने से प्रेमिका का उसके प्रति आकर्षण में प्रबलता आती है। प्रेमियों को चाहिए कि वे अपने प्रेम की सफलता के लिए एक-दूसरे के कुशलता की कामना सच्चे दिल से करें। किसी धार्मिक स्थान पर सफेद परिधान में जाएं। उस धर्म-स्थल पर चमेली या लाल गुलाब का इत्र के साथ ईश्वर की स्मरण करते हुए अपने प्रिय के आकर्षण की कामना करें।
यह उपाय पति-पत्नी के आपसी मरमुटाव को दूर कर सकता है, जो रोजमर्रे की समस्याओं को भी दूर भगा सकता है। इसे स्त्री और पुरुष दोनों के द्वारा किया जा सकता है।
जाप के पश्चात सरसो के तेल से हवन में आहुति दें तथा 108 बार इस मंत्र का पाठ करें| पूर्ण आहुति के पश्चात मंत्रोचारण के साथ नींबू की बलि दें, तथा थोड़ा उसी नींबू का थोड़ा सा रस हवन कुंड में निचोड़ दें| इसके पश्चात मंत्र सिद्ध हो जाता है| हवन के समय लाल वस्त्र धारण करें तथा पश्चिम दिशा में मुख कर बैठें| इसके बाद हत्थाजोड़ी, पायजोड़ी, इंद्रजाल, मोहिनीजाल तथा मायाजाल नामक जड़ीबूटी एकत्र करें| इन सभी सामग्रियों को मिश्रित कर चूर्ण बनाकर रख लें| प्रयोग के समय थोड़ा सा चूर्ण लेकर 108 बार इस मंत्र का जाप करें तथा 3 बार फूँक मारें तथा जिसे वश में करना हो उसे किसी आहार में मिलाकर खिला दें| इसे खाने के बाद वह व्यक्ति आपके वश में आ जाएगा| यह साधना सरल है परंतु समस्त सामग्री जुटाना कठिन अवश्य है| परंतु कहते हैं ना ‘जहां चाह वहाँ राह
तेल मोहिनी साधना विधि
नित्य सरसो के तेल का दीपक जलाकर 41 दिनों तक निम्नलिखित मंत्र का दो घंटे तक पाठ करें-
तेल तेल गौरी का खेल
राजा प्रजा कौन्सल
चलके मेरे और मेरे परिवार के
पैरी मेल
मन मोहे तन मोहे मोहे सभी शरीर
मोहे पंजे पीर
जय फूला कम करे खुल्ला
मलंगी तोड़े तंगी
इन 41 दिनों के मध्य कठोर ब्रम्हचर्य का पालन करें| प्रथम दिन तथा अंतिम दिन सात किस्म की मिठाइयाँ किसी भी सुनसान स्थान पर रख दें और लौट जाएँ| वापस लौटते समय पीछे मुड़कर न देखें| 41 दिन के बाद यह मंत्र सिद्ध हो जाता है| इसके बाद, यदि किसी पर इस मंत्र का उपयोग करना हो, तो इस मंत्र का उच्चारण 21 बार करते हुए सरसो के तेल पर फूँक मारें तथा उस तेल से अपने शरीर की मालिश करें| इसके बाद आप जिस किसी के पास जाएंगे वह आपसे सम्मोहित हो जाएगा|

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